क्या आप बारिश के मौसम में बगैर सनस्क्रीन लगाए गए हैं? यदि आपका जवाब हां है, तो कोई बात नहीं, क्योंकि आपके जैसे कई लोग हैं। अधिकतर लोगों का मानना है कि जब धूप नहीं होती है, तो सनस्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं होती। आपकी क्या राय है?
खास खबर- यह बात कि बारिश के मौसम में सनस्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं है, बिल्कुल गलत है। हम आपको बता रहे हैं सूर्य अगर आपको आसमान में नज़र नहीं आ रहा है, तब भी इसकी अल्ट्रावॉयलेट किरणें आपके स्किन को नुकसान पहुँच सकती है। समय से पहले आपकी स्किन की उम्र बढ़ सकती है, यानि रिंकल्स का नज़र आना, सनबर्न आदि स्किन कैंसर को बुलावा दे सकते हैं। यदि आप अभी भी हमारे जवाब से संतुष्ट नहीं है, तो हम आपको तीन कारण बताते हैं कि क्यों बारिश के मौसम में भी आपको सनस्क्रीन लगाने की ज़रूरत है।
- 01. बादल सूर्य की यूवी रेज़ को ब्लॉक नहीं कर पाते
- 02. सन डैमेज का तापमान से कोई लेना-देना नहीं है
- 03. यूवीबी रेज़ पानी और रेत से भी रिफ्लेकट होता है
01. बादल सूर्य की यूवी रेज़ को ब्लॉक नहीं कर पाते

रिसर्च के अनुसार बादल सूर्य की यूवी रेज़ को सिर्फ 25% से कम ही फ़िल्टर कर पाते हैं। यह वही रेज़ हैं, जो आपकी स्किन में स्किन कैंसर का कारण बनते हैं। हो सकता है कि किसी दिन धूप न निकले और दिन आपको ठंड महसूस हो, तब भी आपकी स्किन यूवीए और यूवीबी के बहुत बड़े हिस्से को एब्ज़ोर्ब कर चुकी होगी, जो आपको नुकसान पहुंचाएगी।
02. सन डैमेज का तापमान से कोई लेना-देना नहीं है

आपको लगता होगा कि आज मौसम ठंडा है तो सनबर्न का कोई चांस ही नहीं है। मौसम ठंडा यानी सनबर्न के चांसेस कम। है ना? जी नहीं। चाहे मौसम ठंडा ही क्यों ना हो, लेकिन यूवी रेज़ का लेवल उतना ही होता है, जितना तब, जब बाहर का तापमान बढ़ा हुआ होता है। तापमान कम होने पर भी यूवी किरणें स्किन को नुकसान पहुंचा सकती है, आपको तब भी अपनी स्किन को सुरक्षा देने की जरूरत होती है।
03. यूवीबी रेज़ पानी और रेत से भी रिफ्लेकट होता है

जब आसमान में बादल छाए हों, तो आपका मन करता है कि समुद्र तट पर जाएँ और पानी की लहरों का मज़ा लें। और ऐसे में सनस्क्रीन की भला कौन परवाह करता है। बारिश का मौसम हो तब आप सोच सकते हैं कि अब सनबर्न को तो कोई चांस ही नहीं है। है ना? अब इस मिथ को आप भुला ही दें तो बेहतर होगा। स्कूल में हमने सूरज की किरणों के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य सीखा है कि वे बारिश की बूंदों के माध्यम से रिफ्लेक्ट हो सकते हैं। शोध में कहा गया है कि यूवीबी किरणों का 17% बर्फ, पानी, घास और रेत के माध्यम से रिफ्लेक्ट हो सकता है, जो 80% तक रिस्क बढ़ सकता है। तो अगर बाहर बारिश हो रही है, तो संभावना है कि आप हानिकारक किरणों से प्रभावित हो रहे हैं। अब इस बात में कोई दो राय नहीं है कि सनस्क्रीन को बार-बार लगाते रहने से ही हम सूर्य की हानिकारक किरणों से बच सकते हैं।
तो अब सवाल उठता है कि कौनसा सनस्क्रीन यूज़ किया जाए?
हम आपको सलाह देंगे Lakme Absolute Perfect Radiance Whitening UV Lotion SPF 50 PA++ लगाने की। इसका लाइटवेट, चिपचिपाहट रहित, ब्रॉड स्पेक्ट्रम फार्मूला आपकी स्किन पर यूवीए और यूवीबी किरणों से कवच की तरह रक्षा करता है। इसे लगाने के बाद स्किन पर सफेद परत नहीं जमती। इसके बारे में दिलचस्प बात ये है कि इसका एसपीएफ आपको बता देगा कि यह सनस्क्रीन कब तक टिकेगा। यदि आप एसपीएफ 50 यूज़ कर रहे हैं तो 50 मिनट के बाद आपको फिर से सनस्क्रीन लगाना पड़ेगा। इसके अलावा सही मात्रा में सनस्क्रीन लगाना भी ज़रूरी है। डर्मेटोंलॉजिस्ट कहते हैं कि 1/4 टेबलस्पून की मात्रा में सनस्क्रीन अपके चेहरे और गर्दन के लिए ठीक है। तो अब देर किस बात की, यदि आप ने अभी तक सनस्क्रीन नहीं लगाया तो अब लगा लें।
Written by Suman Sharma on Jun 19, 2021