मुहांसे यानी पिंपल्स त्वचा से जुड़ी बहुत आम और ऐसी समस्या हैं, जिसके बारे में कहा ही नहीं जा सकता कि यह कब हो जाएगी. जिस दिन आपका चेहरा साफ़-सुथरा और बेदाग नज़र आ रहा होगा, पता चलता है कि उसके अगले दिन ही न जाने कहां से चेहरे पर एक लाल सा पिंपल ऊग आया है. ऐसे में बड़ी चिढ़ आती है, है ना? और जैसे ही पिंपल दिखाई दिया हम में अधिकतर लोग बावले हो कर उसे हटाने के कारगर उपाय ढूंढ़ने और उन्हें अपनाने में जुट जाते हैं. बताइए तो कि हम में से कितनों ने रुक कर यह सोचा है कि ये पिंपल आख़िर है क्या? समस्या को सुलझाने से पहले उसे उसकी जड़ तक जा कर समझ तो लेना चाहिए, है ना? और इसलिए पिंपल से जुड़े आपके बहुत सारे सवालों को एक तरफ़ रख कर हमने सोचा कि क्यों न पहले आपको पिंपल के जीवन चक्र यानी लाइफ़ साइकल और उसकी स्टेजेज़ के बारे में बताएं. इसके बारे में पढ़िए और जानिए कि एक पिंपल को त्वचा की सतह पर ऊगने में कितना समय लगता है और यह भी जानिए कि इसकी हर स्टेज पर आपको क्या करना चाहिए.
 

स्टेज:

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पहली स्टेज: जन्म

त्वचा की कोशिकाएं (स्किन सेल्स) लगातार ख़ुद को पुनर्जीवित करती रहती हैं और पुरानी कोशिकाएं झड़ती रहती हैं. यदि आपकी त्वचा मुहांसों के लिए संवेदनशील होती है तो ये मृत कोशिकाएं त्वचा की सतह पर ही जमी रहती हैं और सीबम के साथ मिल कर त्वचा के रोमछिद्रों (पोर्स) को बंद कर देती हैं. आपकी त्वचा से निकला तेल और बैक्टीरिया पोर के भीतर फंस जाते हैं, जिससे पिंपल के ऊगने का सही वातावरण बन जाता है. ज़रूरत से अधिक सीबम हॉर्मोनल बदलाव की वजह से, भावनात्मक तनाव की वजह से या फिर त्वचा को साफ़-सुथरा न रखने की वजह से भी बनता है. अत: पिंपल को दूर रखने के लिए ज़रूरी है कि आप अपनी त्वचा को साफ़ रखें और इसके लिए रोज़ाना ऐसे फ़ेस वॉश व एक्स्फ़ॉलिएटर का इस्तेमाल करें, जैसे- डर्मैलॉजिका डेली माइक्रोफ़ॉलिएंट/Dermalogica Daily Microfoliant. यह त्वचा को सौम्यता से एक्सफ़ॉलिएट करते हुए गहराई से साफ़ करता है, ताकि त्वचा में फंसे धूल के कण व तेल त्वचा से हट जाएं.

दूसरी स्टेज: विकास

यदि पोर के भीतर बैक्टीरिया और सीबम बंद ही रह जाते हैं तो एक वाइटहेड बनता है. यदि पोर का आकार बढ़ जाता है और यह हवा के संपर्क में आता है तो ब्लैकहेड बन जाता है. यदि इस स्टेज पर पोर के भीतर मौजूद गंदगी को एक्स्फ़ॉलिएशन या फ़ेशियल जैसे कसी स्किन ट्रीटमेंट के ज़रिए निकाला नहीं गया तो यह और अधिक विकसित होने लगता है. जहां पिंपल बढ़ता रहता है, वहीं हमारा शरीर इसे अपने लिए ख़तरा मानते हुए पिम्पल से संघर्ष करने के लिए उस हिस्से पर वाइट ब्लड सेल्स भेजने लगता है. इसकी वजह से त्वचा में जलन और सूजन होने लगती है. इसका नतीजा होता है आपकी त्वचा पर दर्दभरा और लाल रंग का उभार यानी पिंपल. इसे दूर करने के लिए आप किसी टॉपिकल प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें, जैसे- डर्मैलॉजिका ब्रेक्रआउट क्लीरिंग इमर्जेंसी स्पॉट फ़िक्स/Dermalogica Breakout Clearing Emergency Spot Fix , ताकि जलन, सूजन और लालिमा कम हो और त्वचा को राहत मिले.

तीसरी स्टेज: मृत्यु

इस स्टेज पर हमारे योद्धा यानी वाइट ब्लड सेल्स मर जाते हैं और एक जगह पर इकट्ठा हो कर एक वाइटहेड बना देते हैं. पिंपल धीरे-धीरे बैठ जाता है लेकिन अपने पीछे बुरा दाग़ छोड़ जाता है. ख़ासतौर पर तब, जबकि आपको पिंपल को छूते रहने या फोड़ने की आदत हो. ये दाग ठीक होने में लंबा समय लेते हैं और इनके ठीक होने की गति आपके स्किन सेल टर्न ओवर पर निर्भर करती है. अत: हम इस बात की सलाह देते हैं कि आप अपने स्किनकेयर रूटीन का अच्छी तरह पालन करें और प्रभावित हिस्से पर स्पॉट लाइटनिंग ट्रीटमेंट, जैसे- डर्मैलॉजिका C-12 प्योर ब्राइट सीरम/Dermalogica C-12 Pure Bright Serum , का इस्तेमाल करें. इससे दाग तेज़ गति से हल्का होगा.