विटामिन डी एक विटामिन का प्रकार है। यह विशेषकर सूर्य के प्रकाश यानी धूप से मिलता है। जब सूर्य के प्रकाश में शरीर आता है तो शरीर के सेल्स द्वारा जो एस्ट्रॉयड बनता है, वह विटामिन डी होता है। अगर आप पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं लेते हैं, तो निश्चित तौर पर यह आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। कई बार लोगों को इसके सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है। विटामिन डी धूप, दूध, अंडे के पीले भाग, टमाटर, हरी सब्जियां और शलजम, पनीर, पत्ता गोभी, नींबू, माल्टा आदि में प्रचुर मात्रा में बनता है। तो आइये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

 

कितना करें विटामिन डी का सेवन?

कितना करें विटामिन डी का सेवन?

विटामिन डी की ज़रूरत सभी को होती है, लेकिन हर किसी की जरूरत अलग-अलग होती है। हर व्यक्ति को उसकी सेहत और उम्र के अनुसार इसका सेवन करना चाहिए। जैसे जन्म से लेकर छह महीने के शिशु को 400 IU के करीब इसे लेना चाहिए। 1 से 13 की उम्र हो तो 600 IU लेना चाहिए, 14 से 18 600 IU पुरुष के लिए अच्छा है। 14 से 18 साल की महिला को 600 IU लेना चाहिए और इसके बाद जैसे जैसे उम्र बढ़ती है, इतना ही IU लेना चाहिए। भारत में 70 से 90 प्रतिशत लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी है। विटामिन डी दो प्रकार के होते हैं, विटामिन 2 और विटामिन 3। विटामिन डी 2 भी होता है, लेकिन शरीर इसको पचा नहीं पाता है। ज्यादातर लोगों में अमूमन विटामिन डी 3 की कमी होती है।

 

विटामिन डी के फायदे

विटामिन डी के फायदे

  1. विटामिन डी हमारे शरीर में सीरम, कैल्शियम और फास्फोरस की सही मात्रा को बनाए रखने में मदद करता है। यह हमारे शरीर में संक्रमण की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  2. विटामिन डी हमारे शरीर के लिए योद्धा है, यह हमें बाकी की बीमारियों को होने से बचाता है। यह शरीर की इम्युनिटी को भी बढ़ाता है।
  3. विटामिन डी मांसपेशियों और नसों के लिए बहुत ही आवश्यक है। यह नर्वस सिस्टम और नसों को सही करता है। दिमाग अच्छी तरह से संचालन करने में सहायक होता है विटामिन डी।
  4. अगर सही समय पर सही मात्रा में विटामिन डी नहीं लिया जाए तो मांसपेशियों में ऐंठन होती है, हड्डियों में दर्द होने लगता है। इसकी कमी से शरीर में थकान अधिक महसूस होती है और कई बार बहुत अधिक पसीना आने लगता है।
  5. बच्चों में विटामिन डी की कमी हो जाय तो उन्हें सांस लेने की दिक्कत होने लगती है और उनकी हड्डियां कमज़ोर हो सकती हैं।
  6. इसके अलावा उन्हें बार-बार किसी न किसी तरह का संक्रमण होने लगता है।
  7. विटामिन डी की कमी से बाल झड़ने लगते हैं, कलाई और एड़ियां फूलने लगती है , डायबिटीज जैसी बीमारी भी होती है। सोरायसिस, कब्ज और दस्त जैसी दिक्कते भी अधिक आती हैं।
  8. विटामिन डी के सप्लीमेंट्स से ब्लड शुगर और ग्लूकोज कंट्रोल होता है, साथ ही डायबिटीज की परेशानी से छुटकारा मिलता है।
  9. विटामिन डी सही मात्रा में शरीर में हो तो डिप्रेशन दूर करने में मदद करता है।
  10. यह शरीर में प्रोटीन की मात्रा को नियमित करता है।
 

विटामिन डी के मुख्य स्रोत

विटामिन डी के मुख्य स्रोत

विटामिन डी का मुख्य स्रोत सूर्य की रोशनी होती है और वो भी तब जब सूर्य का उदय होता है। जैसे-जैसे धूप चढ़ती है सूर्य की किरणों में इसकी मात्र कम होती चली जाती है। जब सूरज की धूप जब व्यक्ति की स्किन पर पड़ती है, तब शरीर में विटामिन डी का निर्माण होता है। यह एक स्वभावक प्रक्रिया है, लेकिन ऐसे भी कई खाद्य पदार्थ होते हैं, जो विटामिन डी के स्रोत होते हैं। आइये, जानते हैं इनके बारे में।

विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए डार्क चॉकलेट और कोको बटर का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा टमाटर, शलजम, मशरूम, पनीर, नींबू और अंडे के पीले भाग में विटामिन डी की मात्रा पायी जाती है। शकरकंद और चुकंदर में भी विटामिन डी पाया जाता है।

विटामिन डी पाने के लिए आपको धूप कैसे लेनी है, वह हम आपको बताते हैं। धूप में यदि आपकी परछाई आपकी हाइट से छोटी बन रही हों, तो आपको धूप सेंकनी चाहिए।

धूप की कमी होने पर कई बार विटामिन डी के इंजेक्शन या टेबलेट भी दिए जाते हैं।

 

विटामिन डी के नुकसान

विटामिन डी के नुकसान

  1. शरीर में वैसे तो विटामिन डी बेहद जरूरी है, लेकिन यदि इसकी अधिकता भी नुकसानदायक हो सकती है।
  2. विटामिन डी की खुराक शरीर में ज़्यादा हो जाय, तो इससे शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे भूख लगनी बंद हो जाती है।
  3. विटामिन डी का अधिक सेवन करने से बार-बार पेशाब लगने की समस्या होती है।
  4. बच्चों में अगर विटामिन डी अधिक हो जाए तो उनमें चिड़चिड़ापन, चलने में परेशानी और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।
  5. वयस्कों में विटामिन डी की मात्रा बढ़ जाये तो शरीर में दर्द का कारण भी बनता है।
  6. अधिक मात्रा में विटामिन डी का सेवन हड्डियों को कमजोर बनाता है। हाई ब्लड प्रेशर का कारण भी कई बार परेशानी का सबब बनता है।
  7. विटामिन डी का ज़्यादा सेवन करने से कब्ज़, दस्त और सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
  8. अगर विटामिन डी की कमी हो तो ऑस्टियोपीनिया नामक बीमारी होने का डर बना रहता है, इसमें हड्डियों में प्रोटीन की कमी हो जाती है।
  9. महिलाओं में इसकी अधिकता से इनफर्टिलिटी की समस्या, पीरियड्स का अनियमित होना और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी की संभावना हो सकती है।